उत्तराखंड में बाबा केदार के दर्शन के लिए पुराने रास्ते से अलग एक नया रास्ता ढूंढा गया है। ये नया रास्ता पहले से ज्यादा आसान और छोटा है। केदारनाथ में किसी एक रास्ते पर निर्भर नहीं होकर अलग-अलग रास्ते बनाने का विचार किया जा रहा है।

कई बार ऐसा देखा गया है कि बारिश के दिनों में पहाड़ टूटने और मलबा आने की वजह से यात्रा रुक जाते हैं और यात्री प्रभावित होते हैं। ऐसे में इस बात को लेकर है कि वैकल्पिक रास्ते तैयार किए जाएं। अबतक 9 रास्ते खोजे जा चुके हैं।

विधायक मनोज रावत ने कहा कि मौजूदा समय में जिस नए रास्ते की तलाश हुई है। वह चौमासी खाम बुगियाल है। गुप्तकाशी से थोड़ा आगे जाने पर एक रास्ता कालीमठ के लिए जाता है।

गुप्तकाशी से चार से पांच किलोमीटर बाद कालीमठ के लिए नीचे उतरकर यहां पहुंचा जा सकता है। इसके बाद यहां से 10 किलोमीटर दूर चौमासी गांव है। इस गांव से चढाई करने से अगले सात से आठ घंटे में आप केदारनाथ धाम पहुंच सकते हैं।

मनोज रावत ने कहा कि चौमासी और जाल के रास्ते से रामबाड़ा जाते थे। यहां के लोगों के घोड़े खच्चर लेकर रामबाड़ा जाता थे। 2013 की आपदा में इसी रास्ते से होकर जाते थे। वह सुरक्षित निकाले गए।

मनोज रावत ने कहा कि इस रास्ते की खासियत यह है कि रामबाड़ा औऱ केदारनाथ के बीच में चार जगहों से निकलकर आगे खाम बुगियाल में निकलता है। उन्होंने कहा कि मोटरेबल रोड चौमासी तक है।

रावत ने कहा कि इस रास्ते पर लैंडस्लाइड नहीं है। यह पूरी तरह से रॉक एंड वैली है। बेहद ही खूबसूरत इलाका है। एक छोटी नदी भी है। केदारनाथ सेंचुरी डिविजन है इसकी वजह से कुछ बड़ा निर्माण नहीं हो सकता है।

2013 की आपदा के पहले जो केदारनाथ का रास्ता था उसे भी ठीक किया जा रहा है। इसके लिए रामबाड़ा से गरुड़चट्टी को डेवलप किया जा रहा है। इसके साथ आपदा के बाद लिंचोली होकर जो रास्ता बना उसपर भी आवागमन जारी है। इसके साथ ही चौमासी को भी वैकल्पिक रास्ते के तौर पर तैयार करने की योजना है।