हर कपल का एक सपना होता है उनके घर में बच्चों की किलकारियां गुंजे, लेकिन कई बार मानसिक और शारीरिक समस्याओं के कारण कई कपल इस सुख से वंचित रह जाते हैं।

ऐसी परिस्थिति में कपल्स अक्सर इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ)  का सहारा लेता है। इसकी वजह से बहुत से परिवारों के घर में किलकारियां भी गूंजती है। 

इससे बचने के लिए आप जेनेटिक टेस्ट भी करवा सकते हैं। यह टेस्टिंग आइवीएफ में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। साथ ही यह भी बता देता है भविष्य में बच्चे को कौन सी बीमारी हो सकती है और कौन सी नहीं।

जेनेटिक बीमारी किसी व्यक्ति के डीएनए में अबनॉर्मल सी दिखने वाली बीमारियां हैं। यह बीमारियां सिंगल जीन म्यूटेशन से लेकर क्रोमोसोम्स की जटिलता तक हो सकती हैं।

नॉर्मल जेनेटिक्स डिसऑर्डर जैसे सिस्टिक फाइब्रोसिस, हंटिंगटन रोग, और सिकल सेल एनीमिया से जुड़ी बीमारी हो सकती है।

इस बीमारी में ऑटोसोमल डोमिनेंट डिसऑर्डर, ऑटोसोमल रिसेसिव डिसऑर्डर और एक्स-लिंक्ड डिसऑर्डर भी हो सकते हैं।

जेनेटिक डिसऑर्डर आपके IVF को भी प्रभावित कर सकती है। जिन कपल्स को यह बीमारी होने की संभावना होती है। उन्हें आईवीएफ के जरिए बच्चा पैदा करके इसे बीमारी से बचाई जा सकती है।

IVF के प्रोसेस से शुरू करने से पहले कपल्स को कैरियर स्क्रनिंग की जाती है ताकि कपल को कौन-कौन सी बीमारी है उसकी कैरियर स्क्रिनिंग करवानी चाहिए। माता-पिता दोनों को कैरियर होना चाहिए।