महाकुंभ 2025 की शुरूआत हो चुकी है। जिस तरह से पुरुष नागा साधु होते हैं, ठीक उसी प्रकार महिला नागा साधु भी होती है। महिला नागा साधु का जीवन काफी कठिन होता है।
एक महिला को नागा साधु बनने के लिए कई चीजों का त्याग करने के साथ-साथ कठोर तप करना पड़ता है। चलिए आपको बताते हैं।
महिला नागा साधुओं को प्रतिदिन कठिन साधना करनी होती है। उन्हें प्रातः उठकर नदी में स्नान करना होता है। चाहे ठंड ही क्यों न हो उन्हें ठंडे पानी से नहाना होता है।
महिला नागा साधु को स्नान के बाद अपना पूरा दिन भगवान शिव की आराधना में निकालना होता है। फिर श्याम के समय भगवान दत्तात्रेय की पूजा करनी होती है।
एक महिला को नागा साधु बनने से पहले अपना पिंडदान कराकर पिछले जीवन को छोड़ना होता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि यह बाल कटवाती नहीं हैं बल्कि हाथों से एक एक बाल तोड़ती हैं।
एक महिला को नागा साधू बनने से पूर्व ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। कम से कम 6 से 12 साल तक ब्रह्मचर्य के पालन के बाद ही महिलाओं को नागा साधु की उपाधि मिलती है।
महिला नागा साधुओं को नागा साधु बनने के बाद 'माता' की उपाधि दी जाती है। लोग इन्हें माता कहकर पुकारते हैं और पूरे जीवन में सिर्फ गेरुए रंग का वस्त्र पहनने की अनुमति होती है, जोकि सिला नहीं होना चाहिए।