हम सबने अपने स्कूल में कबीर के दोहे तो पढ़े ही है, तो चाहिए आज उन्हें वापस याद करते है ।

1) दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय। जो सुख में सुमिरन करे, दुख काहे को होय।

2) बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर। पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर।।

3) गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरु आपनो, गोविन्द दियो बताय।।

4) जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहिं। सब अँधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या माँहि॥

5) सात समंद की मसि करौं, लेखनि सब बनराइ। धरती सब कागद करौं, तऊ हरि गुण लिख्या न जाइ

6) पत्थर पूजे हरि मिले, तो मैं पूजू पहाड़, घर की चाकी कोई न पूजे, जाको पीस खाए संसार।

7) कांकर पाथर जोरि कै मस्जिद लई बनाय। ता चढि मुल्ला बांग दे क्या बहरा हुआ खुदाय॥